मंगलवार, 5 जुलाई 2011
एमएम गोंडवी
नौसिखुआ शायर एमएम गोंडवी की चंद पक्तियां। मुद्दा क्या और अवसर क्या जो भी आया वही लिख दिया। कहते हैं खाली दिमाग में चवन्नी छाप शायर बसता है। ये लाइनें उन्हीं चवन्नियों को समर्पित हैं, जो 30 जून से हमारे बीच से हटा ली गईं।
गुदगुदी
गुदाज बांहें जब उसने मुस्कुरा कर मेरे गले में डालीं,
तो ख्याल आया,
गला घोंटने का अंदाज अच्छा है।
दर्द दिल उनको सुनाएं कैसे,
वो तो हेडफोन लगाए फिरते हैं।
उनकी अदाओं पर हम यूं ही मर मिटे
हम बह गए ज्जबातों में, वो नामी अदाकारा थी।
उनके हुस्न के दीदार से बिजली गिरी हम पर
कहते हैं लूटने वालों की कोई जात नहीं होती।
उनकी मोहब्बत में पपीहा बना फिरता हूं
सुना है इस बार स्वाति में बारिश के योग नहीं बनते।
शहर में उनकी बेवफाई का था चर्चा सरेआम,
चले थे जिनसे हम प्यार का ककहरा सीखने।
उनकी मोहब्बत में हम कंकाल हो गए,
खुदा उनको बचाए जो अब मालामाल हो गए।
अलविदा
जनाजे में किसी के अब जाते नहीं लोग,
एक लाश दूसरी को कांधा नहीं देती।
फक लिबास उतारने की फुर्सत कहां,
हर रोज गली में एक लाश निकलती है।
अपने कंधों पर अपनी लाश उठाए फिरते हैं,
कहते हैं आजकल जीने का अंदाज ही कुछ ऐसा है।
मेरे गुनाहों की सजा किसी और को न दे
ऐ खुदा,
क्या तेरी भी नीयत इंसां जैसी बदलती है।
अलविदा के बाद भी रस्मों का वास्ता
इसको श्मशान, उसको कब्रिस्तान में दफनाया।
बरसात
बेमौसम बरसात का आलम ही कुछ ऐसा है,
किसी के हिस्से बूंद आई, कोई ताउम्र प्यासा है।
कल रात की तेज बारिश में भी रह गए सूखे,
मन को कर सके जो तर बतर,
ऐसी बारिश आसमां से नहीं होती।
कहीं बुझाती तो कहीं जलाती बारिश
कहीं डुबाती तो कहीं पार लगाती बारिश
ये तो अपनी.अपनी किस्मत है
यहां हर रस्म निभाती बारिश।
बारिश में नहाकर धुल गया पत्ता.पत्ता
दिलों के मैल न धुले अलबत्ता।
बारिश का पानी चढ़ता है, उतर जाता है,
आंखों का पानी उतरे तो कहां चढ़ता है।
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liked 'Alvida' ...lage rahiye Gondvi sahab..
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