नौ से नाता गहरा सही, पर
दस का दम कुछ कम तो नहीं
मंजिल पाने का आनंद अपार,मगर
चलते रहने की अनुभूति कम तो नहीं
आओ जीवन अपना सफर बनाएं
नूतन वर्ष खड़ा सामने
बढ़कर उसको गले लगाएं
नई उमंगें, नई तरंगें, नई चुनौतियां
मन में नई आशाएं
नूतन वर्ष खड़ा सामने
बढ़कर उसको गले लगाएं
क्या टूटा, क्या पीछे छूटा
रहा नहीं अब इसमें रस
पीछे मुड़कर कभी किसी को
नहीं मिला कोई नया पथ
आओ मिलकर राह बनाएं
नूतन वर्ष खड़ा सामने
बढ़कर उसको गले लगाएं
कहीं रुकना नहीं, कभी थकना नहीं
कहीं झुकना नहीं, पीछे हटना नहीं
आओ हार को जीत बनाएं
नूतन वर्ष खड़ा सामने
बढ़कर उसको गले लगाएं
रविवार, 14 मार्च 2010
सोमवार, 8 मार्च 2010
आरक्षण नहीं, अधिकार चाहिए
सुरक्षा नहीं, माहौल चाहिए
दया नहीं, अवसर चाहिए
प्रतिस्पर्धा नहीं, समानता चाहिए
शिकायत नहीं, समाधान चाहिए
सवाल नहीं, जवाब चाहिए
पुरुषों की सहचरी हैं, अनुचरी नहीं
महिलाएं भी चल सकती हैं कंधे से कंधा मिलाकर
सहारा नहीं, बस यही सोच चाहिए
महिलाओं को आरक्षण नहीं, अधिकार चाहिए
तिरस्कार नहीं, आत्मसम्मान चाहिए
हत्या (मादा भ्रूण) नहीं, जिंदगी चाहिए
कैद नहीं, खुला संसार चाहिए
बेटा.बेटी हैं एक समान
नारा नहीं, व्यवहार चाहिए
महिलाओं को आरक्षण नहीं, अधिकार चाहिए
भागीदारी नहीं, बराबरी चाहिए
भेदभाव रहित घर, समाज चाहिए
कल नहीं, बदला हुआ आज चाहिए
हमदर्दी नहीं, हमख्याल चाहिए
महिलाओं को आरक्षण नहीं, अधिकार चाहिए
दया नहीं, अवसर चाहिए
प्रतिस्पर्धा नहीं, समानता चाहिए
शिकायत नहीं, समाधान चाहिए
सवाल नहीं, जवाब चाहिए
पुरुषों की सहचरी हैं, अनुचरी नहीं
महिलाएं भी चल सकती हैं कंधे से कंधा मिलाकर
सहारा नहीं, बस यही सोच चाहिए
महिलाओं को आरक्षण नहीं, अधिकार चाहिए
तिरस्कार नहीं, आत्मसम्मान चाहिए
हत्या (मादा भ्रूण) नहीं, जिंदगी चाहिए
कैद नहीं, खुला संसार चाहिए
बेटा.बेटी हैं एक समान
नारा नहीं, व्यवहार चाहिए
महिलाओं को आरक्षण नहीं, अधिकार चाहिए
भागीदारी नहीं, बराबरी चाहिए
भेदभाव रहित घर, समाज चाहिए
कल नहीं, बदला हुआ आज चाहिए
हमदर्दी नहीं, हमख्याल चाहिए
महिलाओं को आरक्षण नहीं, अधिकार चाहिए
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