सुरक्षा नहीं, माहौल चाहिए
दया नहीं, अवसर चाहिए
प्रतिस्पर्धा नहीं, समानता चाहिए
शिकायत नहीं, समाधान चाहिए
सवाल नहीं, जवाब चाहिए
पुरुषों की सहचरी हैं, अनुचरी नहीं
महिलाएं भी चल सकती हैं कंधे से कंधा मिलाकर
सहारा नहीं, बस यही सोच चाहिए
महिलाओं को आरक्षण नहीं, अधिकार चाहिए
तिरस्कार नहीं, आत्मसम्मान चाहिए
हत्या (मादा भ्रूण) नहीं, जिंदगी चाहिए
कैद नहीं, खुला संसार चाहिए
बेटा.बेटी हैं एक समान
नारा नहीं, व्यवहार चाहिए
महिलाओं को आरक्षण नहीं, अधिकार चाहिए
भागीदारी नहीं, बराबरी चाहिए
भेदभाव रहित घर, समाज चाहिए
कल नहीं, बदला हुआ आज चाहिए
हमदर्दी नहीं, हमख्याल चाहिए
महिलाओं को आरक्षण नहीं, अधिकार चाहिए
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
bahut khoob
जवाब देंहटाएंअरे आप कविता भी लिखते हैं, यह तो आज ही पता चला...
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा आपकी कविता पढ़ कर