नौ से नाता गहरा सही, पर
दस का दम कुछ कम तो नहीं
मंजिल पाने का आनंद अपार,मगर
चलते रहने की अनुभूति कम तो नहीं
आओ जीवन अपना सफर बनाएं
नूतन वर्ष खड़ा सामने
बढ़कर उसको गले लगाएं
नई उमंगें, नई तरंगें, नई चुनौतियां
मन में नई आशाएं
नूतन वर्ष खड़ा सामने
बढ़कर उसको गले लगाएं
क्या टूटा, क्या पीछे छूटा
रहा नहीं अब इसमें रस
पीछे मुड़कर कभी किसी को
नहीं मिला कोई नया पथ
आओ मिलकर राह बनाएं
नूतन वर्ष खड़ा सामने
बढ़कर उसको गले लगाएं
कहीं रुकना नहीं, कभी थकना नहीं
कहीं झुकना नहीं, पीछे हटना नहीं
आओ हार को जीत बनाएं
नूतन वर्ष खड़ा सामने
बढ़कर उसको गले लगाएं
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kavita choriye aur kuch ghadh ka v rasaswad karwaeye.
जवाब देंहटाएंओ मुकेश प्यारे, आखिर आप भी यहां पधारे, अब तो सावन आ गया, कुछ बरसाओ तुम भी फुहांरें
जवाब देंहटाएंऔर आपका पंजाबी पाठ कैसे चल रहा है।