शुक्रवार, 18 मार्च 2011

अथ श्री थामस कथा

अथ श्री सीवीसी थामस कथा
कथा है ये भ्रष्टाचार की, स्वार्थ की
सारथी जिसके बने मनमोहन सरदार जी
नियुक्ति पर छीछालेदर और जब शुरू हुआ विरोध
अपनी करनी को सही ठहराने का शुरू हुआ राजयोग
पर रुक न सका काला चिट्ठा खुलने का अभियान
बार बार अदालत की फटकार पर भी
ढीठ बने रहे रहनुमा और थामस नादान

तर्क. कुतर्क सब व्यर्थ हुआ
जब चला सुप्रीम कोर्ट का कोड़ा
नहीं चला कोई दांव,तब जाकर मनमोहन ने
अपने प्रिय सीवीसी से मुंह मोड़ा
ईमानदार पीएम बेईमानों की टीम हैं बनाते
देश की जनता को भाड़ में झोंक
खुद निष्पाप, बेदाग होने का तमगा हैं पाते
इतने पर भी पर ढीठ थामस पीछे नहीं हटा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ
महामहिम राष्ट्रपति के सम्मुख जाकर डटा
देने लगा संविधान तथा अधिकार क्षेत्र की दुहाई
पामोलिन में जब डुबकी थी लगाई

तब यह बात भेजे में क्यों न आई
थामस भाई
यदा यदा ही भ्रष्टाचारी प्रबलम् और विधायिका अक्षम भवित.........................

........ न्यायपालिका युगे युगे।

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