सरदार! हमने आपका राशन खाया है…
...तो अब ये महंगाई तुझे खाएगी?
अरे! ओ सांभा! रामगढ़ की क्या रिपोर्ट है…
बहुत शानदार सरदार।
GST उगाही अब तक के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। जुलाई, 2017 में जब से आपने इसे लागू किया तब से पहली बार इस अप्रैल में 1.68 लाख करोड़ रुपए की टैक्स वसूली हुई। यही नहीं, तकरीबन 33.5% की ग्रोथ के साथ ग्रॉस टैक्स कलेक्शन(वित्तीय वर्ष अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक) 27.07 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया। यह हमारे बजट अनुमान से भी करीब 5 लाख करोड़ ज्यादा है सरदार।
इसमें डायरेक्ट टैक्स(इनकम+ काॅर्पोरेट टैक्स) की हिस्सेदारी 14.10 लाख करोड़ रुपए है। लगभग 49% की दर से इसका विकास हुआ। यह भी हमारे अनुमान से 3 लाख करोड़ ज्यादा है। अप्रत्यक्ष कर (एक्साइज) वसूली में 20 फीसद की ग्रोथ दर्ज की गई है। कुल मिलाकर रामगढ़ वाले हमारा खजाना तबीयत से भर रहे हैं सरदार।
बस, थोड़े त्रस्त हैं बेचारे।
कह रहे थे- महंगाई ने बेहाल कर दिया है। पेट्रोल 122 रुपए/लीटर, सिलेंडर 1000 का, खाने-पीने के चीजों में आग लगी है। आलू, प्याज, टमाटर के बाद नींबू ने भी निचोड़ लिया। कमाने वाला एक, खाने वाले अनेक और ऊपर से चौतरफा महंगाई डायन… बहुत नाइंसाफी है सरदार।
हूं…। अच्छा रामगढ़ के चमचे, तू ये बता-
एक लीटर खाने का तेल, एक किलो नमक, एक किलो चना और घर के हर सदस्य के हिसाब से 5 किलो गेहूं/चावल जो मुफ्त में मिल रहा वो? क्या है वो?
...और तो और तेरे छोटे सरदार ‘जोगिया’ ने दोबारा गद्दी संभालते ही फ्री अनाज की स्कीम को तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया है। मुफ्त गैस कनेक्शन का घर-घर में 'उज्जाला' कर दिया, उसका कुछ नहीं?
अरे, ये रामगढ़ वाले न। मिडिल क्लास की मानसिकता से ऊपर नहीं उठ पाएंगे!
यहां देश का नाम हो रहा। दुनिया में हमारा डंका बज रहा है। गंगा भले ही सूख रही हो, प्रदूषित हो रही हो, विकास की नदी अपने ऊफान पर है। भारत विश्व गुरू बनने वाला है और इन्हें, दो जून की रोटी की ही पड़ी रहेगी। देशविरोधियों से इनका बहुत याराना लगता है!
रामगढ़ वालो! इस महंगाई के ताप से तुम्हें िसर्फ एक ही चीज बचा सकती है और वो है खुद महंगाई।
जी, सरदार। और आपने तो कह ही दिया कि ये रतनगढ़, राजगढ़, देवगढ़,
जूनागढ़, चुनारगढ़ और भवानीगढ़ वाले डीजल-पेट्रोल पर वैट नहीं घटा रहे, नहीं तो कीमतें इतनी गिर
जाएं कि खुद ओपेक(देश) हमसे खरीदने लगे।
कितने आदमी थे?
आदमी नहीं, बुलडोजर थे सरदार।
बुलडोजर! हमारे रामगढ़ में बुलडोजर।
जी, सरकार।
अब यहां से पच्चास पच्चास कोस दूर जब कोई बच्चा रोता है तो उसकी मां कहती है…सो जा नहीं तो बुलडोजर आ जाएगा!
और फिर भी तुम घोड़े पर बैठकर दुम दबाकर भाग आए।
क्या सोचा था? सरदार खुश होगा, इनाम में बुजडोजर देगा।
हम्म…। अब तेरा क्या होगा कालिया?
सरदार! हमने आपका राशन खाया है।
...तो अब ये महंगाई तुझे खाएगी। हाहा..।
अरे, ओ सांभा…
होली कब है… कब है होली?
सरदार!
छोटी वाली इसी दिसंबर में गुजरात में और 2023 में राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और नार्थ ईस्ट में।
फिर 2024 में महाहोली। एकदम लट्ठमार वाली सरकार।
अरे, ये मोटा सरदार कहां मर गया?
सरदार, वो तो एक के एक बाद होली की तैयारियों में व्यस्त हैं, उसी की रणनीति को लेकर आज मीटिंग बुलाई है, इसलिए वह रतनगढ़ के दौर पर हैं।
हम्म…।
तभी गब्बर सिंह अपने हाथ पर चढ़ रही चींटी काे मसल दिया… गांव से आंखों में हजारों सपने लिए शहर जा रहा एक और अहमद बेकारी, बेरोजगारी की भीड़ में कहीं खो गया। इसी के साथ एक और रहीम चाचा की जिंदगी में सन्नाटा छा जाता है…।
(डिस्क्लेमर- यह कथानक काल्पनिक घटनाओं पर आधारित है। इसका किसी मृत या जीवित व्यक्ति, भूत या प्रेतात्माओं, सूक्ष्मात्माओं से कोई वास्ता नहीं है। फिर भी यदि कोई शख्सियत, दल-संगठन, समाज, समुदाय, संस्था खुद को रत्तीभर भी जुड़ा हुआ या आहत महसूस करती है तो वो बस एक संयोग मात्र है।)
बहुत ही शानदार। पढ़कर हरिशंकर जी की याद ताजा हो गई । बधाई मुकेश भाई।
जवाब देंहटाएंAmit Gupta
www.indianews.in
बहुत बहुत आभार अमित सर
हटाएंवाह भाई। बहुत शानदार
जवाब देंहटाएंआभार, अभिनंदन पीयूष जी
हटाएंबेहतरीन है व्यवस्था पर शोले फिल्म के किरदारों का तर्जनुमा।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद उदय जी
हटाएंबहुत शानदार लिखा मुकेश,. शुभकामना...
जवाब देंहटाएंशानदार सर।
जवाब देंहटाएंथैंक्स उदित जी
हटाएंबहुत बहुत धन्यवाद मनीष
जवाब देंहटाएंशानदार...जबरदस्त। लेखनी में जादू है। सबसे बड़ी बात कि अखबारों की हैडिंग और क्रासर तक सीमित रहने वाला जब एक लाइन पढ़ते ही पूरा लेख पढ़ने को मजबूर हो गया। सर, जब आप कोई किताब प्रकाशित करेंगे तो सबसे पहले मैं उसे खरीदकर पढूंगा (आमतौर पर पत्रकार मांग कर ही किताब पढ़ते हैं)। जबरदस्त...
जवाब देंहटाएंपांडेय जी, तहेदिल से बहुत बहुत आभार, अभिनंदन। यूं प्यार बनाए रखिएगा
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